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चुनावी साल में BJP की तिजोरी हुई मजबूत, कांग्रेस समेत कई दलों के चंदे में भारी गिरावट

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लोकसभा चुनाव से जुड़े वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे के आंकड़े सामने आए हैं, जिसने देश की राजनीति में फंडिंग की तस्वीर साफ कर दी है। इलेक्शन कमीशन को सौंपी गई कंट्रीब्यूशन और ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, जहां अधिकांश विपक्षी दलों की आमदनी में तेज गिरावट दर्ज की गई, वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए यह साल आर्थिक रूप से बेहद फायदेमंद साबित हुआ।
रिपोर्ट के मुताबिक, BJP को 2024-25 में कुल 6,088 करोड़ रुपये का चंदा मिला। यह आंकड़ा पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 के 3,967 करोड़ रुपये के मुकाबले करीब 53 फीसदी अधिक है। खास बात यह है कि यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई जब लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां चरम पर थीं और चुनाव अप्रैल–मई 2024 में संपन्न हुए।
इसके उलट, कांग्रेस को इस अवधि में बड़ा झटका लगा। पार्टी का चंदा 1,129.66 करोड़ रुपये से घटकर 522.13 करोड़ रुपये पर आ गया। यानी कांग्रेस को मिलने वाला डोनेशन आधे से भी कम रह गया। इस तरह BJP को मिला चंदा कांग्रेस से करीब 12 गुना ज्यादा दर्ज किया गया। कांग्रेस नेताओं में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, पी. चिदंबरम और केसी वेणुगोपाल सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी को व्यक्तिगत रूप से दान दिया, लेकिन इसके बावजूद कुल आय में गिरावट नहीं रुक सकी।
कांग्रेस की ऑडिट रिपोर्ट यह भी बताती है कि 2024-25 में पार्टी ने कुल 1,111.94 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें से बड़ा हिस्सा चुनाव प्रचार पर गया। हवाई यात्रा, हेलीकॉप्टर और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रचार पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए गए।
अन्य क्षेत्रीय दलों की स्थिति भी कुछ खास बेहतर नहीं रही। तृणमूल कांग्रेस, YSR कांग्रेस, तेलुगु देशम पार्टी और बीजू जनता दल—सभी के डोनेशन में पिछले साल की तुलना में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई। हालांकि, कुछ दल ऐसे भी रहे जिनकी आय में बढ़ोतरी देखने को मिली। जद(यू), समाजवादी पार्टी और CPI(ML)L के चंदे में इजाफा हुआ है।
इस बीच BJP की 2024-25 की ऑडिट रिपोर्ट अभी तक इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं होने को लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है। विपक्षी दल पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं और BJP से फंडिंग को लेकर विस्तृत जानकारी सामने रखने की अपील कर रहे हैं।
कुल मिलाकर, चुनावी साल में सामने आए ये आंकड़े साफ संकेत देते हैं कि राजनीतिक दलों की आर्थिक ताकत में बड़ा असंतुलन पैदा हुआ है, जिसमें BJP सबसे मजबूत स्थिति में नजर आ रही है।

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